आओ फिर से दिया जलाएँ
आओ फिर से दिया जलाएँ भरी दुपहरी में अंधियारा सूरज परछाई से हारा अंतरतम का नेह निचोड़ेंबुझी हुई बाती सुलगाएँ। …
आओ फिर से दिया जलाएँ भरी दुपहरी में अंधियारा सूरज परछाई से हारा अंतरतम का नेह निचोड़ेंबुझी हुई बाती सुलगाएँ। …
चाहत के रंगीन धागे, आज फिर से बुन लिए।मोहब्बत की स्याही भरे, लफ़्ज़ों के फूल चुन लिए।एहसास के कशीदों से, …
दुःख, शोक, जब जो आ पड़े सो धैर्य पूर्वक सब सहो होगी सफलता क्यों नहीं कर्त्तव्य पथ पर दृढ़ रहो …