अब यह चिड़िया कहाँ रहेगी-// कवयित्री- महादेवी वर्मा

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अब यह चिड़िया कहाँ रहेगी

अब यह चिड़िया कहाँ रहेगी
आँधी आई जोर शोर से,
डालें टूटी हैं झकोर से।

उड़ा घोंसला अंडे फूटे,
किससे दुख की बात कहेगी !
अब यह चिड़िया कहाँ रहेगी?

हमने खोला आलमारी को,
बुला रहे हैं बेचारी को।
पर वो चीं-चीं कराती है
घर में तो वो नहीं रहेगी !


घर में पेड़ कहाँ से लाएँ,
कैसे यह घोंसला बनाएँ!
कैसे फूटे अंडे जोड़े,
किससे यह सब बात कहेगी !
अब यह चिड़िया कहाँ रहेगी?

कवयित्री- महादेवी वर्मा


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