शनि अमावस
चैत्र मास कृष्णपक्ष की अमावस्या को चैत्र अमावस्या कहा जाता है। इस साल शनिवार के दिन अमावस्या तिथी आई हुई है। इसलिये इसे शनी अमावस्या या शनिच्चरी अमावस कहते है। हिंदू कॅलेंडर के अनुसार इस दिन से नया साल लग रहा है और इसी दिन साल की पहिली अमावस्या है। इस तिथि का महत्व, पूजा का शुभ मुहूर्त:
आईये शनी अमावशा का महत्व और पूजा के महत्व के बारे मे विस्तार से जानते है। हिंदू कॅलेंडर के अनुसार शनीअमावस्या एक विशेष महत्त्वपूर्ण दिन है। वैसे तो हर शनिवार हनुमानजी और शनिदेव जी की पूजा होती है। पर इस शनीअमावस्या के दिन विशेष महत्त्व होने के कारण पूजा मे भी विशेष भाव और समर्पण होता है। आस्थापूर्वक पूजा का विशेष महत्व है। शनिदेव हमे हमारे कर्म का कर्मफल देकर सही मार्ग पर हमारा जीवन लाते है। मान्यता नुसार शनिदेव हमारे जीवन में न्याय और शासन का विशेष महत्त्व संभालते है।
इस दिन शनिदेव, बजरंगबली, महाकाल और भगवान शिव की आराधना करना भी शुभम माना जाता है। यह शनी अमावस्या का दिन भगवान शनिदेव की विशेषकृपा पाने का अवसर है।कृपा प्राप्त कर अध्यात्मिक उन्नती का रास्ता हम सब अपना सकते है। अध्यात्मिक उन्नती से आत्मचिंतन होता है। इस चिंतन से मन मे करुणा, समर्पण का भाव आता है।

साल 2025 मे कब है अमावस्या और पूजा विधि
शनी अमावस्या 28 मार्च की शाम 7: 55 बजे से प्रारंभ होकर 4: 27 मिनिट टक रहेगी। ये दोनो दिन शुभफल देने वाले है। इसलिये शुभ फल प्राप्ति के लिए इन दोनो दिनो मे पूजा, आराधना भक्तलोगों करते है।
जानते है शनी अमावस्या पर क्या करना चाहिए।
- जरूरत मंद लोगों को कंबल, कालातील और उडदकी दाल दान कर सकते हो।
- पीपल के वृक्ष के चारो और सात बार परिक्रमा करे। वहा पर सरसो के तेल का दीपक जलाये।
- इस दिन भगवान शनिदेव, भगवान शिव और हनुमान जी की पूजा विशेष रूप से फलदायी माना जाती है। इस दीन मंत्र का जप करे।
1. ओम नमः शिवाय।
2. ओम महादेवाय विदम्हे रुद्रमूर्तये थीमही तन्नः शिवः प्रचोदयात ।
3. ओम त्र्यंबकं यजामहे सुगंधिमृ पुष्टिवर्धनम उर्वारुकमिव बन्धनों मृत्योर्मुक्षीय मामृतात।
4. ओम शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये,शंयोरभिस्रवन्तु नः।
इसके अतिरिक्त शनि स्तोत्र, शनि चालीसा, हनुमान चालीसा, शनिदेव आरती का पाठ विशेष लाभ देत है।