दुःख, शोक, जब जो आ पड़े
सो धैर्य पूर्वक सब सहो
होगी सफलता क्यों नहीं
कर्त्तव्य पथ पर दृढ़ रहो
अधिकार खो कर बैठ रहना
यह महा दुष्कर्म है
न्यायार्थ अपने बन्धु को भी
दण्ड देना धर्म है।
-मैथिलीशरण गुप्त
दुःख, शोक, जब जो आ पड़े
सो धैर्य पूर्वक सब सहो
होगी सफलता क्यों नहीं
कर्त्तव्य पथ पर दृढ़ रहो
अधिकार खो कर बैठ रहना
यह महा दुष्कर्म है
न्यायार्थ अपने बन्धु को भी
दण्ड देना धर्म है।
-मैथिलीशरण गुप्त