माईंड फुलनेस परिभाषा और इतिहास
माईंडफुलनेस का अर्थ है वर्तमान क्षण में पूर्ण जागरूकता के साथ उपस्थित राहना और बिना किसी निर्णय या प्रतिक्रिया के अपने विचारों, भावनाओं और शारीरिक संवेदनाओं को बस देखना।
एक लोकप्रिय परिभाषा के अनुसार,माईंडफुलनेस है “ ध्यान देना, लेकिन एक विशेष तरीकेसे।

वर्तमानक्षणमें और बिना किसी निर्णय के”lआधुनिक काल में,माईंडफुलनेस पश्चिमी मनोविज्ञान भी “महत्वपूर्ण अंग” बन गया है। जिसका उपयोग मानसिक तणाव से निपटने और कल्याण बढाने के लिए हो रहा है।
प्राचीन योग और वेदांतदर्शन मे भी “ध्यान” तथा “साक्षी-भाव” (यांनी स्वयंको एक “निष्पक्ष-दृष्टा” के रूप मे स्थापित करना) जैसी अवधारणाएं मौजूद हैं,जो माईंडफुलनेस के अनुरूप है।योग मे ध्यान एक चरण है। जिसमे मन की “एकाग्रता” और “वर्तमान” पर पूर्ण चेतना विकसित की जाती है, तथा “साक्षी-भाव” का अभ्यास कर साधक आपने विचारों-भावनों को बिना शामिल हुए देखते रहता है।

पश्चिमी/आधुनिक पृष्ठभूमी:—20वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में माईंडफुलनेस एक धर्मनिरपेक्ष,वैज्ञानिक रूप लिया। विशेषकर जॉन कबट-जिन(जॉन Kabat-Zinn) ने 1979 में युनिव्हर्सिटी ऑफ मेसाचुसेट्स में माईंडफुलनेस-बेस्ड स्ट्रेस रिडक्शन(MBSR) कार्यक्रम सुरू किया l
उन्होने बौद्ध ध्यान तकनीकी कों चिकित्सा संदर्भ मे प्रयोग कर दिखाया की,यह “पुरानेदर्द” और “तनाव”से जुझ रहा है। मरीजो के लिए बेहद फायदेमंद है l
कबट-जिन ने इस “ध्यान-सिद्धांत” को सांस्कृतिक और धार्मिक संदर्भ से हटाकर एक वैज्ञानिक भाषा दी। और इसे “माईंडफुलनेस” का नाम भी दे दिया l आज माईंडफुलनेस ध्यान को पश्चिमी मनोचिकित्सा में एक प्रमुख हस्तक्षेप के रूप मे अपनाया गया है। अवसाद,चिंता PTSD आदी कई मानसिक रोगों में पूरक उपचार की तरह उपयोग किया जा रहा है। इस प्रकार, माईंडफुलनेस पूर्वी आध्यात्मिक परंपरा और पश्चिमी विज्ञान का संगम बन गया है।
माईंडफुलनेस का एकाग्रता, उत्पादकता व कार्य प्रदर्शन पर प्रभाव
माईंडफुलनेस न केवल मानसिक रोगों में,बल्की सामान्य जीवन में ध्यान केंद्रित करने और कार्यप्रदर्शन सुधारणे में भीं सहाय्यक पाई गयी है। शोध बताते हैं कि ध्यान और माईंडफुलनेस अभ्याससे “एकाग्रता”(Concentration)और “कार्य-स्मृती”(working memory) में सुधार होता है।जिससे पढाई या काम मे, प्रदर्शन बेहतर हो सकता है। उदाहरण के लिए, केवल दो सप्ताह के माईंडफुलनेस प्रशिक्षण के बाद विद्यार्थीयों के (GRE) जीआरइ परीक्षा मे रीडिंग कॉम्प्रिहेंशन स्कोर और वर्किंगमेमरी क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धी देखी गई।

साथ ही मन भटकने(Mind-wandering) की आदत मे कमी आई है। माईंडफूलनेद्वारा ध्यान भंग करणे
वाले विचार कम होने से व्यक्ती लंबे समय तक किसी कार्यपर केंद्रीत रह पाता है। जो उसकी उत्पादकता बढता है।
अनेक कार्यस्थल पर भी माईंडफुलनेस प्रशिक्षण के लाभ दिखे है। एक बडे विमा कंपनी Aetna के आंतरिक विश्लेषण मे पाया गया की माईंडफुलनेस प्रोग्राम से कर्मचारीयों की प्रति सप्ताह औसतन 62 मिनिट अतिरिक्त उत्पादकता बढी— जिसका मतलब है प्रति कर्मचारी, सालाना करीब S 3,000 मूल्य का अधिक कार्य संपादन करना।
इसी प्रकार का प्रयोग (workaholic) कर्मचारीयो पर भी किया गया।

इसके अतिरिक्त माईंडफुलनेस बर्नआऊट (कार्यसे थकान/ उदासी) कम करने और रचनात्मकता बढाने में मदतगार माना जाता है। जब मन स्पष्ट और वर्तमान पर केंद्रित होता है। तो मल्टीटास्किंग का दबाव घटता है। व्यक्ती प्रत्येक कार्य को पुरी तन्मयतासे कर पाता है। इस पकार कई कंपनीयाॅ,कर्मचारीयों के तनाव को कम करने व ध्यान बढाने के लिए—“माईंडफूलनेस मेडिटेशन वर्कशॉप” आयोजित कर रही है,ताकी संपूर्ण उत्पादकता और कल्याण मे सुधार हो सके।
माईंडफुलनेस का अभ्यास कैसे करें: (प्रमुख तकनीकें): कुछ लोकप्रिय अभ्यास इस प्रकार है:

1. ध्यान(Meditation)

शांत वातावरण में आराम से बैठकर आपनी सांसो,शारीरिक संवेदनाओं या मन मे उठते हुए विचारों पर गैर-आलोचनात्मक दृष्टी रखना।जब ध्यान भटक जाए,तो उसे फिर से वर्तमानक्षण पर जेन्टली(gently ) वापस लाना।माईंडफुलनेस मेडिटेशन में वर्तमान में होने वाले प्रत्येक अनुभव को उसी क्षण देखाकर स्वीकारना सिखाया जाता है।
2. श्वास पर ध्यान(Breathing Exercises)

इसमें व्यक्ती अलग-अलग श्वास तकनीकों के जरिए अपने श्वास-प्रस्वास को जागरूकता सें अनुभव करता है। उदाहरण के लिए, “अनुलोम-विलोम”(alternate nostril breathing),बॉक्स ब्रिदिंग(4-4-4-4सेकंड का साॅस का पॅटर्न) या सिर्फ गहरीपेट से सांस लेना(Diaphragmatic breathing) शामिल है। साॅसो पर ध्यान केंद्रित करने से मन इधर-उधर भटकने की बजाय भीतर की और स्थिर होता है।
3. बॉडी स्कैन मेडिटेशन

इसमें सिर से पाॅव तक शरीर के प्रत्येकअंग पर क्रमवार “ध्यान” दिया जाता है। आराम से लेटकर या बैठकर, व्यक्ती आपने शरीर के हिस्सों में होने वाले सूक्ष्म ऐहसास (जैसे तनाव या ढीलापन) को महसूस करता है। बिना प्रतिक्रिया के, यह अभ्यास शरीर और मन के बीच संपर्क बढाकर “गहरी विश्रांती” देता है।
4. माइंडफुल योग(yoga) या अन्य शारीरिक व्यायाम अभ्यास

सूक्ष्म-कोमल योगासन, ताई-ची, किंगोंग आदी को धीमी गती और पूर्ण चेतना के साथ करना भी माईडफुलनेस का हिस्सा है। योग करते समय शरीर के प्रत्येक आसन, खींचाव,और श्वास पर ध्यान रखना। चलते-फिरते ध्यान जैसा अनुभव देता है। अनुसंधान बताते हैं कि योग-निद्रा (Yoga Nidra)जैसे आयुर्वेदिक ज्ञान तकनीक भी चिंता और तनाव कम करने मे प्रभावी हैं l
5. विचारों व भावनाओं का अवलोकन

एक अभ्यास यह है कि कुछ मिनिट शांत बैठकर आने वाले विचारों या भावनांओं को बादलों की तरह आते-जाते देखना l हम न तो उन विचारों मे खोते है, न उन्हें दबाते है—केवल साक्षीभाव से देखते हैं। इस निरीक्षण के परिणामस्वरूप विचारों की गती धीमी पडती है और मन स्पष्ट होता है।
6. अनौपचारिक माईंडफुलनेस (दैनिक गतीविधियोंमें)

माईंडफुलनेसका सौंदर्य है की इसे रोजमार्रा मे कामों मे पिरोया जा सकता है।जैसे मैं माईंडफुल खाना खाना— भोजन करते समय टीव्ही या फोन हटाकर, हर निवाले के स्वाद, बनावट और खुशबू पर ध्यान देना। इसी तरह माईंडफुल चलना-चलते समय हर कदम की अनुभूति होती, पैरों का जमीन को छुना, हवा का स्पर्श महसूस करना। कार्य जैसे नहाना,कपडे धरना, बर्तन धोना, ड्रायव्हिंग जैसे कार्य भी सचेतन ध्यान के अवसर बनकर बन सकते हैं। जब हम उन्हे ऑटो पायलट मोड के बजाय पुरी जागरूकता के साथ करते है।
माईंडफुलनेस पर हाल के प्रमुख वैज्ञानिक शोध:-

आधुनिक विज्ञान ने माइंडफुलनेस के लाभोको परखनेके लिए कई उच्चस्तरीय अध्ययन कीए है। जिन्मे से कुछ अति उल्लेखनीय निष्कर्ष है।
1. 2023, नेचर मे व्यापक शोध
नेचर मेंटल हेल्थ जर्नलिस्ट में प्रकाशित 2023 के एक व्यापक समीक्षाएवं व्यक्तिगत-डेटा विश्लेषणने विभिन्न देशों में हुए 13 उच्च गुणवत्ता RCT के डाटा ट्रायल्स के लिये डाटा को एकत्र कर जांचा।
निष्कर्षत:- पाया गया की सामान्य वयस्कों में जिनको प्रशिक्षित प्रशिक्षक द्वारा ग्रुप में माईंडफुलनेस– आधारित प्रोग्राम कराए गएं, उनमे 1-6 माहिनों के अंतराल में नियंत्रण समूह की तुलना मे मनोवैज्ञानिक क्लेश मे उल्लेखनीय कमी देखी गई। नियंत्रण समूह की तुलना मे मनोवैज्ञानिक क्लेश जिसमे परिणाम काफी विश्वसनीय है। इस अध्यायन ने मजबूत प्रमाण दिया कि माईंडफुलनेस प्रोग्राम मानसिक स्वास्थ्य को बढावा देने में सहायक हैं।
2. PTSD व सैन्य पृष्ठभूमी पर 2021का अध्ययन
2021 मे फ्रंटियर्स इन सायकॉलॉजीमें प्रकाशित एक मेटा- विश्लेषणने PTSD से पीडित लोगों पर माईंड-बॉडी हस्तक्षेपों( जिसमे माइंड फुलनेस मेडिटेशन, योग, ध्यान आदी शामिल थे) के प्रभाव को जांचा। 16 RCT विश्लेषण से पता चला की माईंड फुलनेस आधारित अभ्यास करने से PTSD मरीजों के लक्षण सुधारते है
3. अवसादकें स्तर तथा व्याकुळता/ चिंता
तिनों में ही प्लेसबो/नियंत्रित समूह की तुलना में सांख्यिकीय रूप से महत्वपूर्ण सुधार हुआ। खासकर युवा (45 वर्षे से कम) पी टी एस डी(PTSD) मरीजो में 8–16 सप्ताह के नियमित मांइंड फुलनेस अभ्यास से लक्षणों में सबसे अधिक लाभ दिखा है।
4. शारीरिक सुचक एवं तणाव पर 2017 का मेटा एनालिसिस
जर्नल ऑफ साइकाइट्रिक रिसर्च में प्रकाशित एक सुविख्यात विश्लेषण (Pascoe et al,2017)ने ध्यान/ माइंडफुलनेस के शरीर पर पडने वाले प्रभावों का अध्ययन किया। इस मेटा-विश्लेषण में 45kontroll Trials को शामिल किया गया l और परिणाम दर्शाते हैं की नियमित ज्ञान अभ्यास से कोटिॅसोल (एक प्रमुख तणाव हामोॅन) सि-रिएटिव्ह प्रोटीन का सूचक रक्तचाप, हृदय गती, ट्राईग्लिसराइड्स और TNF-अल्फा (सुजनकारक) ये सभी जैविक मार्कर कम हो जाते है l मतलब, ध्यान/ माईंड फुलनेस वास्तव मे शरीर की तणाव प्रतिक्रिया को धिमाकर तणाव के दुष्प्रभाव से रक्षा करती है। इससे यह भी समझ मे आता है की,माईंड फुलनेस न केवल मानसिक ही नही, शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभप्रद है।जैसे हृदय स्वास्थ्य मे सुधार प्रतिरक्षा में बढोत्री आदी पर भी अन्य अध्यायानो मे सकारात्मक प्रभाव मिले है ।
निष्कर्ष
माईंडफुलनेस एक प्राचीन अवधारणा है। जिसे आधुनिक विज्ञान ने मान्यता दि है। वर्तमान क्षण में जागृत/ जागरूक राहकर, अपने अनुभवों को बिना प्रतिक्रिया के देखना–यह सरल लगने वाला अभ्यास मानसिक स्वास्थ्य के लिए विभिन्न पाहिलीओं को सुधारने में सक्षम पाया गया है। चाहे वह चिंता तणाव कम करना हो, अवसाद से उबरना हो, या आघात के बाद पीडा को संभालना हो, या काम-काज में फोकस और उत्पादकता बढाना हो– सभी मेें माईंड फुलनेस अति लाभप्रद सिद्ध हुए है। भारतीय दर्शन ने सहस्त्रब्दियों पहिले जीस साक्षी भाव और ध्यान की महिमा बताई
थी, उसे अब वैश्विक स्तर पर वैज्ञानिक पुष्टी मिल रही है। मानसिक संतुलन और खुशहाली के लिए माईंडफुलनेस एक सुलभ और प्रभावी उपकरण है। जिसे कोई भी व्यक्ति थोडे अभ्यास से अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना सकता है।