दीपदान

Spread the love

Table of Contents

दीपदान

जल, रे दीपक, जल तू
जिनके आगे अँधियारा है,
उनके लिए उजल तू
जोता, बोया, लुना जिन्होंने
श्रम कर ओटा, धुना जिन्होंने
बत्ती बँटकर तुझे संजोया,
उनके तप का फल तू
जल, रे दीपक, जल तू
अपना तिल-तिल पिरवाया है
तुझे स्नेह देकर पाया है
उच्च स्थान दिया है घर में
रह अविचल झलमल तू
जल, रे दीपक, जल तू
चूल्हा छोड़ जलाया तुझको
क्या न दिया, जो पाया, तुझका
भूल न जाना कभी ओट का
वह पुनीत अँचल तू
जल, रे दीपक, जल तू
कुछ न रहेगा, बात रहेगी
होगा प्रात, न रात रहेगी
सब जागें तब सोना सुख से
तात, न हो चंचल तू
जल, रे दीपक, जल तू।

-मैथिलीशरण गुप्त


Spread the love

Leave a Comment

Recommended
दुःख, शोक, जब जो आ पड़े सो धैर्य पूर्वक सब…
Cresta Posts Box by CP

Table of Contents

Index